Saturday, August 29, 2020

 वो मौन अनुमोदन 


पलाश की कुछ पंखुडियां

सिमटी मिली पुराणी किताब की एक तह में

याद करा गयी

कुछ लम्हें, कुछ पल

वो बीती एक बहार  के... 

 

याद हैं वो पल

जब अरमानों की कुछ पंखुडियां खिलीं थीं

श्वेत शांत मन में कुछ

हलचल हुई थी

रंग की कुछ बूदें गिरीं थीं

 

वो आंखों का स्पर्श किस्सी का

वो कुछ कहकर भी

सब कुछ कह देने की कोशिश

फिर वो मौन अनुमोदन ...

वो इंतज़ार, वो अनकही मुलाक़ात

फिर जैसे खुद को खुद से हे छिपा लेने की कोशिश...

 

यादें हैं वो

बीते हुए उस कल की

नाज़ुक उन ख्यालों की

गुनगुनाए कुछ गीतों की

लहराती उस सतरंगी चुनर की

बेरंग हो गयी जो

अब पलाश की ही पंखुड़ियों सी...

 



No comments:

Post a Comment

Bachpan

  Kaun ho tum Kya ho tum Poochoge to nahin   Humse kabhi Kyunki… Bayaan raaz hote nahin Main aur tum Tum aur main Ishq sifar sa Safar ruhani...

Khat Tumhaare