Saturday, September 5, 2020

ये  नज़दीकियाँ


कैसे करे बयाँ
असर् दिखाती है
नज़्दीकी तुम्हारी किस् तरह्…
कोइ शब्द्, कोइ आहट्, …
कोइ महक्, कोइ अन्दाज़् तुम् सा…
याद् करा जाते है
एह्सास् तुम्हारे होने का…

फिर्…
याद् करा जाते है
वो निगाहो का स्पर्श् तुम्हारा
वो मौन् अनुमोदन् तुम्हारा
जो दे जाते है  इन् सान्सो को फिर् से चलने का हौसला…

कुछ कहना तो तुम्हारी फ़ित्रत्
कभी थी ही नही
निगाहे तुम्हारी पर् तुम् से
हर् बार् दगा कर् जाती है
दिल् की हर् बात् तुम्हारी,
हर् वक़्फ़ा, हर् विराम् तुम्हारा,
हम् तक् पहुंचा देती है…

और् यूँ ही…
गिले ज़िन्दगी के
 सारे भुला देते हो तुम् ...
मक़्सद् जीने का हमें  
दे  जाते हो तुम्…
यकीन् खुद् पर् करा जाते हो…
ईश्क़् को अपने इबादत् बना देते हो तुम्
सर् सज्दे मे उस् खुदा के
फिर् झुका जाते हो तुम्
एक् प्रशन् 


मै और् तुम्
तुम् और् मै
सिल्सला कुछ नज़दीकियों का
निभाया गया जो दूरियो मे

मै और् तुम्
तुम् और् मै
प्रशन् एक् ऊल्झा सा
खोया उत्तर जिसका
 वक़्त् की रिवायतो मे

मै और् तुम्
तुम् और् मै
चक्रव्यह् दायरों का
इन्तेहा सब्र् का
 
मै और् तुम्
तुम् और् मै

बूँद एक नूर सी



मै और् तुम्
तुम् और् मै
इश्क़् वो ख़ानाबदोश सा
बयान् हुआ न दर्ज़् हुआ
पर् महकता जो
खुशबुओं सा...

मै और् तुम्
तुम् और् मै..
इन्तेहाँ सब्र् का
 सफ़र् हौंसलों  का
हुआ जो तय्
बेहिसाब् फासलों मे

मै और् तुम्
तुम् और् मै
बूँद कोइ नूर् सी

ताबीर् किसी ख्वाब् की

मै और् तुम्
तुम् और् मै
दुआ किसी फ़कीर् की
नवाजिश् उसी खुदा की
मै और् तुम्
तुम् और् मै…


हमनवा  ...


मै और् तुम्
तुम् और् मै
है हमनवा  
या  फिर् अज़नबी

अन्जान् हक़ीक़तो से
ज़िन्दगी के सिल्सलो से
जुडे फिर् भी यो
जानते हो जैसे
सदियो से एक् दुसरे को

दर्ज़् करेगा वक़्त् कैसे इन् नज़्दीकियो को
जुडी न कभी जो
मुलक़ातो या वादो से...
ना कैद् हुई कभी लफ़्जो मे
बंधी न कभी किन्हीं रिवायतो से

मै और् तुम्
तुम् और् मै
साथ भी, दूर भी
दायरों के पार 
अज़नबी भी,हमनवा भी

मै और् तुम्
तुम् और् मै…

Bachpan

  Kaun ho tum Kya ho tum Poochoge to nahin   Humse kabhi Kyunki… Bayaan raaz hote nahin Main aur tum Tum aur main Ishq sifar sa Safar ruhani...

Khat Tumhaare