ये नज़दीकियाँ
कैसे करे बयाँ
असर् दिखाती है
नज़्दीकी तुम्हारी किस् तरह्…
नज़्दीकी तुम्हारी किस् तरह्…
कोइ शब्द्, कोइ आहट्, …
कोइ महक्, कोइ अन्दाज़् तुम् सा…
याद् करा जाते है
एह्सास् तुम्हारे होने का…
कोइ महक्, कोइ अन्दाज़् तुम् सा…
याद् करा जाते है
एह्सास् तुम्हारे होने का…
फिर्…
याद् करा जाते है
वो निगाहो का स्पर्श् तुम्हारा
वो मौन् अनुमोदन् तुम्हाराजो दे जाते है इन् सान्सो को फिर् से चलने का हौसला…
कुछ कहना तो तुम्हारी फ़ित्रत्
कभी थी ही नही
निगाहे तुम्हारी पर् तुम् से
हर् बार् दगा कर् जाती है
दिल् की हर् बात् तुम्हारी,
हर् वक़्फ़ा, हर् विराम् तुम्हारा,
हम् तक् पहुंचा देती है…
सारे भुला देते हो तुम् ...
मक़्सद् जीने का हमें
दे जाते हो तुम्…
यकीन् खुद् पर् करा जाते हो…
ईश्क़् को अपने इबादत् बना देते हो तुम्
सर् सज्दे मे उस् खुदा के
फिर् झुका जाते हो तुम्
कभी थी ही नही
निगाहे तुम्हारी पर् तुम् से
हर् बार् दगा कर् जाती है
दिल् की हर् बात् तुम्हारी,
हर् वक़्फ़ा, हर् विराम् तुम्हारा,
हम् तक् पहुंचा देती है…
और् यूँ ही…
गिले ज़िन्दगी केसारे भुला देते हो तुम् ...
मक़्सद् जीने का हमें
दे जाते हो तुम्…
यकीन् खुद् पर् करा जाते हो…
ईश्क़् को अपने इबादत् बना देते हो तुम्
सर् सज्दे मे उस् खुदा के
फिर् झुका जाते हो तुम्