खत् तुम्हारे
हां, पढ लिये खत् वो सारे
जो तुमने लिखे पर् कभी भेजे नही...
कहा था तुमने
एह्सासो को अल्फ़ाज़ो मे क़ैद् नही करते
बाते सारी यु बय़ान् नही करते
ऱाज़् पर् कुछ छुपते नही
एह्सास् क़ैद् होते नही...
हां पढ लिये खत् वो सारे
लिखती रही हैं हर पल निगाहें तुम्हारी
हर अलफ़ाज़ , हर वक़्फ़ा, हर विराम
हर कोलाहल और खामोशी
दर्द और नमीं तुम्हारी
आत्मसात करती रही हूँ मैं
हाँ, तुम्हे पढ़ती रहीं हूँ मैं ...
हां, पढ लिये खत् वो सारे
जो तुमने लिखे पर् कभी भेजे नही...
कहा था तुमने
एह्सासो को अल्फ़ाज़ो मे क़ैद् नही करते
बाते सारी यु बय़ान् नही करते
ऱाज़् पर् कुछ छुपते नही
एह्सास् क़ैद् होते नही...
हां पढ लिये खत् वो सारे
लिखती रही हैं हर पल निगाहें तुम्हारी
हर अलफ़ाज़ , हर वक़्फ़ा, हर विराम
हर कोलाहल और खामोशी
दर्द और नमीं तुम्हारी
आत्मसात करती रही हूँ मैं
हाँ, तुम्हे पढ़ती रहीं हूँ मैं ...
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