हमनवा ...
मै और् तुम्
तुम् और् मै
है हमनवा
या फिर् अज़नबी
तुम् और् मै
है हमनवा
या फिर् अज़नबी
अन्जान् हक़ीक़तो से
ज़िन्दगी के सिल्सलो से
जुडे फिर् भी यो
जानते हो जैसे
सदियो से एक् दुसरे को
ज़िन्दगी के सिल्सलो से
जुडे फिर् भी यो
जानते हो जैसे
सदियो से एक् दुसरे को
दर्ज़् करेगा वक़्त् कैसे इन् नज़्दीकियो को
जुडी न कभी जो
मुलक़ातो या वादो से...
ना कैद् हुई कभी लफ़्जो मे
बंधी न कभी किन्हीं रिवायतो से
जुडी न कभी जो
मुलक़ातो या वादो से...
ना कैद् हुई कभी लफ़्जो मे
बंधी न कभी किन्हीं रिवायतो से
मै और् तुम्
तुम् और् मै
साथ भी, दूर भी
दायरों के पार
तुम् और् मै
साथ भी, दूर भी
दायरों के पार
अज़नबी भी,हमनवा भी
मै और् तुम्
तुम् और् मै…
तुम् और् मै…
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